खट्टा खाने का गठिया से नहीं है कोई संबंध

खट्टा खाने का गठिया से नहीं है कोई संबंध

 

यह एक आम धारणा यह है कि खट्टा खाने से गठिया की बीमारी होती है या जिन्हें यह पहले से है उनमें बढ़ती है, लेकिन यह एक मिथ्या है, क्योंकि खट्टा खाने का गठिया से कोई संबंध नहीं है। डॉ. राहुल जैन (गठिया रोग विशेषज्ञ, नारायणा मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल, जयपुर) बताते हैं कि यदि खट्टा खाने से गठिया बढ़ती है तो इसे छोड़ने पर यह कम भी होनी चाहिए, जबकि ऐसा नहीं होता है। मधुमेह एवं हृदय रोग की तरह गठिया भी एक क्रोनिक बीमारी है। हालांकि मधुमेह व हृदय रोग में जीवनशैली के बदलाव से फायदा मिलता है लेकिन गठिया में ऐसा नहीं होता है, क्योंकि यह शरीर के इम्यून सिस्टम के बदलाव के कारण होती है, जिससे जोड़ों व शरीर के कुछ हिस्सों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

 

गठिया से पीड़ित प्रत्येक व्यक्ति यह चाहता है की खान—पान में परिवर्तन करने से ही इसे ठीक कर लिया जाए और दवाओं से शरीर में ताकत आए, लेकिन ऐसा नहीं होेता है। गठिया के मरीजों को यह समझना चाहिए की यह बीमारी दवाओं से ही ठीक हो सकती है, खान—पान का इसमें बहुत काम योगदान होता है। दवा लेने से गठिया उसी स्टेज पर रूक जाता है और फिर धीरे—धीरे इस बीमारी के प्रभाव कम होने लगते हैं। गठिया सामान्यतया ठंडी चीजें खाने या ठंड के मौसम की वजह से बढ़ता है। गर्मियों के दिनों में एसी व कूलर की ठंडक भी गठिया को बढ़ाने वाली साबित होती है। अत: ऐसे वातावरण व खानपान से भी बचा जाना चाहिए।

 

गठिया के संबंध में एक भ्रांति यह भी है कि शरीर में यूरिक एसिड बढ़ने से भी गठिया हो जाती है, इसलिए कुछ दालों व प्रोटीन युक्त अन्य चीजें छोड़ने की सलाह दी जाती है। लेकिन इस बात में भी कहीं सच्चाई नहीं है। यदि छोड़ना ही है तो एल्कोहल, नॉनवेज व ​प्रिजर्वेटिव फूड को छोड़ना चाहिए, जिनकी यूरिक एसिड को बढ़ाने में अहम भूमिका होती है।