सामान्यतया माना जाता है कि आर्थराइटिस (गठिया) रोगियों पर मौसम का ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ता है लेकिन हाल ही में हुए कुछ स्टडीज में पाया गया है कि सर्दियों में कुछ जीन सक्रिय होने लगते हैं। सर्दियों के दिनों में सूजन को बढ़ाने वाले जीन में वृद्धि होती है, जबकि इस मौसम में सूजन को कम करने वाले जीन की संख्या कम हो जाती है। यही वजह है कि सर्दियों में गठिया के रोगियों को अधिक दर्द का अनुभव होता है।
आर्थराइटिस के अधिकतर पीड़ितों का मानना है कि ठंड के दिनों में हालत सर्वाधिक खराब हो जाती है। हालाँकि गर्मियों के दौरान डिहाइड्रेशन के कारण भी आर्थराइटिस को बढ़ावा मिल सकता है लेकिन आर्थराइटिस के रोगियों में सर्वाधिक पीड़ा ठंड व नमी के मौसम में देखने को मिलती है| त्यौहारी खानपान व तापमान में परिवर्तन की वजह से गठिया का सर्वाधिक दुष्प्रभाव नवंबर और दिसंबर माह में देखने को मिलता है।
मौसम के बदलावों के प्रभाव को किस प्रकार कम किया जा सकता है?
बहुत से लोगों में यह भ्रान्ति है कि आर्थराइटिस का कोई इलाज नहीं है| ऐसा बिलकुल नहीं है कि गठिया एक लाइलाज बीमारी है। वर्तमान में इस रोग को नियंत्रित करने और उपचार की कई नवीनतम विधिया उपलब्ध हैं। पहले केवल सामान्य दवाइयां ही रोगियों के लिए उपलब्ध थी लेकिन अब बायोलॉजिकल मेडिसिन्स से भी गठिया का उपचार किया जा रहा है। कुछ उपाय अपनाकर इसकी सूजन को कम किया जा सकता है और कठोरता से निजात पाई जा सकती है।
आर्थराइटिस के पीड़ितों को किसी भी मौसम या जलवायु परिवर्तनों के दौरान पर्याप्त नींद लेना अत्यधिक महत्वपूर्ण होता है। सोने और जागने के लिए निश्चित समय तय करने का प्रयास करें, जिसमें कम से कम आठ घंटे की नींद पूरी हो सके। यदि आपका वीकेंड पर जल्दी उठना जरूरी नहीं है तो भी सोने के समय में बदलाव नहीं करना चाहिए। यदि आप इस समय में परिवर्तन करते हैं तो सप्ताह के दौरान इसे फिर से सेट करना मुश्किल हो सकता है।
यदि एक्सरसाइज अभी तक आपके जीवन में शामिल नहीं है तो आर्थराइटिस के लक्षणों को और अधिक बढ़ने से रोकने के लिए शरीर में खिंचाव लाने वाली एक्सरसाइज को तुरंत शामिल करें। इसके अतिरिक्त अपने जीवन में तनाव का उचित प्रबंधन करें। इसका मतलब यह है कि जो व्यक्ति भावनात्मक रूप से आपकी परवाह नहीं करते हैं ऐसे लागों को आप प्रतिबद्धता व समय की कमी की वजह से ना कहना सीखें। ये आर्थराइटिस के सीजनल दर्द से बचाव के कुछ महत्वपूर्ण उपाय हैं। लेकिन अधिक बेहतर व सटीक उपचार के लिए आप अपने डाॅक्टर से सम्पर्क करें।
जागरूकता जरुरी
गठिया को लेकर जागरूकता का काफी आभाव है। गठिया में समय पर उपचार लेना बहुत जरुरी है। गठिया को शुरुवाती स्टेज में सामान्य दवाइयों से नियंत्रित किया जा सकता है। जितना उपचार में देरी होती है गठिया का इलाज उतना ही कठिन हो जाता है।
जोड़ों में सूजन और अकड़न होना और सुबह उठने पर आधे घंटे से भी ज्यादा अकड़न रहना गठिया के कुछ सामान्य लक्षण है। खास बात यह है कि गठिया के मरीज को आराम करने के बाद दर्द का ज्यादा अनुभव होता है। यह दर्द काम करते समय कम हो जाता है।
गठिया की वजह से रोगी के जोड़ों में विकृति आ जाती है। इसके अलावा ब्लड की कमी, वजन घटना, बुखार आना, हर समय थकावट रहना और हार्ट अटैक का खतरा बढ़ाना गठिया के कुछ अन्य साइड इफेक्ट्स हैं।